हम अपनी मनोकामना पूर्ती के लिय इतने उपवास आदि करते हैं,तरह तरह के टोटके और उपाय करते हैं परन्तु कभी पूर्ण संतोष नही होता,तो अब क्यू न निष्काम आप्तकाम पूर्णकाम और आत्माराम हुआ जाये ताकि कोई झंझट ही न रहे, जो की हमारा मूल स्वरूप ही हैं ।जहाँ न कोई चिंता हैं और न कोई दुःख। श्री साईं की प्राप्ति हो और हम बाबा के शरणागत हो जाये, बाबा ही जब हमारा योग क्षेम वहन करें।ज्ञान और विवेक ही हर दुःख की औषदी हैं जो हमे सत चरित्र के द्वारा बाबा देते हैं।
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